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सोमवार, 22 सितंबर || नम्र लोग कमजोर नहीं होते है

  • Writer: Honey Drops for Every Soul
    Honey Drops for Every Soul
  • Sep 22
  • 2 min read

आत्मिक अमृत अध्ययनः भजन संहिता 22ः26,25ः9


“वह (प्रभु) नम्र लोगों का उद्धार करके उन्हें शोभाय्मान करेगा...” - भजन संहिता 149ः4


 मत्ती 5ः5 में, हमारे प्रभु यीशु ने कहा, “धन्य हैं वे, जो नम्र हैं, क्योंकि वे पृथ्वी के अधिकारी होंगे।” एक नम्र व्यक्ति कौन है? वह एक सौम्य और दयालु व्यक्ति होता है, जो आसानी से उकसाया नहीं जाता, परेशानी पैदा करने के बजाय झुकने को तैयार रहता है। इस संसार के लोग यह नहीं समझ सकते कि नम्रता पृथ्वी को कैसे विरासत में ले लेती है। वे शारीरिक शक्ति में विश्वास करते हैं। वे हथियारों और सेनाओं में विश्वास करते हैं। वे ऊर्जा, इच्छाशक्ति और दृढ़ता में विश्वास करते हैं। वे अपने साथियों को प्रभावित करने और उन्हें धमकियों, दर्द और भय से अपने वश में करने में विश्वास करते हैं। उनका मानना है कि विनम्र और नम्र लोग कमजोर और शक्तिहीन होते हैं। लेकिन वे यह समझने में असफल रहते हैं कि नम्र लोग कमजोर नहीं होते है। नम्र लोगों को कभी अपमानित नहीं किया जा सकता क्योंकि नम्रता ही वह शक्ति है जो खतरों और उत्पीड़न को शांत, सौम्य तरीके से सहने की शक्ति प्रदान करती है।  


 प्रिय मित्रों, नम्र होने के लिए बहुत ताकत की आवश्यकता होती है। एक व्यक्ति केवल मसीह में अपने नए जन्म के परिणामस्वरूप ही नम्रता प्रकट करता है। इसलिए यह कहते हुए कि नम्र लोग पृथ्वी के वारिस होंगे, हमारे परमेश्वर यह घोषणा करते है कि यह केवल उस व्यक्ति द्वारा ही प्राप्त किया जा सकता है जिसके भीतर मसीह निवास करते हैं और परमेश्वर की आत्मा निवास करती है। एक लेखक इस प्रकार लिखता हैः ‘‘जब सब कुछ गलत हो जाता है और परेशानियाँ बढ़ जाती हैं और फिर भी एक ईसाई परमेश्वर या मनुष्यों के विरुद्ध विद्रोह किए बिना अपने जीवन के कर्तव्यों का पालन करता है, तो इसका अर्थ है कि वह ‘‘नम्रता‘‘ के अद्भुत गुण से युक्त है।‘‘ आइए हम नम्र बनें और पृथ्वी के वारिस बनें।  

प्रार्थनाः हे स्वर्गीय पिता, इस संसार में जहाँ लोग अपने अधिकार और शक्ति, अपनी ताकत और रुतबे का दिखावा करने की कोशिश करते हैं, मुझे नम्र और कोमल आत्मा बनने में मदद करें। ऐसा करके, मैं अपने आस-पास के लोगों के सामने अपने अंदर रहने वाले मसीह को प्रकट कर सकूँ। यीशु के अनमोल नाम में, मैं प्रार्थना करता हूँ। आमीन।  

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