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सोमवार, जून 30 || प्रभु, मुझे ईमानदार और सच्चा बनाओ

  • Writer: Honey Drops for Every Soul
    Honey Drops for Every Soul
  • Jun 30
  • 2 min read

आत्मिक अमृत अध्ययनः भजन संहिता 26ः1-12


हे परमेश्वर, मुझे जाँचकर जान ले, ... देख कि मुझ में कोई बुरी चाल है कि नहीं, ...‘‘

- भजन संहिता 139ः 23,24

   

ईमानदारी का मतलब है एक संपूर्ण जीवन जीना और एक अविभाजित हृदय रखना। कपट का मतलब है - दो स्वामियों की सेवा करने की कोशिश करना, दो मुखौटे पहनना और अलग-अलग लोगों के साथ अलग-अलग तरीके से पेश आना। यीशु ने कहा, “कोई मनुष्य दो स्वामियों की सेवा नहीं कर सकता।” (मत्ती 6ः24) कोई भी एक ही समय में दो दिशाओं में नहीं देख सकता है। हम अंधकार और प्रकाश को एक साथ नहीं देख सकते है। पवित्र शास्त्र में हम दाऊद को एक ऐसे व्यक्ति के रूप में देखते हैं जिसने अत्यंत ईमानदारी दिखाई। भजन संहिता 26 के वचन 1 और 11 में, दाऊद ने प्रार्थना की, “हे यहोवा, मेरा न्याय कर, क्योंकि मैं खराई से चलता रहा हूँ।” और भजन 25ः21 में, उसने प्रार्थना की, “खराई और सीधाई मुझे सुरक्षित रखें।” भजन संहिता 26ः6 में वह कहता है, “मैं अपने हाथों को निर्दोषता के जल से धोऊँगा, तब हे यहोवा मैं तेरी वेदी की प्रदक्षिणा करूँगा।“ “मैं तेरे सत्य मार्ग पर चलता रहा हूँ।” (वचन 3) “मेरे पाँव चैकस स्थान में स्थिर हैं।” (वचन 12) क्योंकि वह ईमानदार था, इसलिए उसे ऐसे साहसिक कथन कहने का आत्मविश्वास था। उसके दिल में प्रभु के खिलाफ कुछ भी नहीं था।

      प्यारे दोस्तों, क्या हम ऐसे साहसिक बयान दे सकते हैं? क्या हम कह सकते हैं, ‘‘हे प्रभु, मुझे परखें। मैं अग्नि में से भी गुजरने के लिए तैयार हूँ। मैं आपके दिव्य एक्स-रे से भी गुजरने के लिए तैयार हूँ और मैं आपकी पवित्र आँखों से स्कैन होने के लिए तैयार हूँ। आगे बढ़ो और मुझे परखो।‘‘ हम ऐसा तभी कह सकते हैं, जब हमारा जीवन परमेश्वर और मनुष्यों के सामने पारदर्शी और बेदाग हो, जब हमारा विवेक अच्छा हो और जब हमारा हृदय और दृष्टि एक-दूसरे से अविभाजित हो। आइए हम अपने जीवन से झूठ, पाखंड और छल को निकाल दें। आइए हम हमेशा अपनी कमर पर सत्य का पट्टा बाँधे रखें। आइए हमारे शब्द और कार्य परमेश्वर और मनुष्यों की दृष्टि में शुद्ध और निर्दोष हों।

प्रार्थनाः सर्वशक्तिमान परमेश्वर, जब मैं अय्यूब के बारे में पढ़ता हूँ, तो मैं बहुत प्रेरित होता हूँ, जिसके बारे में आपने स्वयं गवाही दी है कि वह निर्दोष और ईमानदार था। दाऊद के उदाहरण के लिए भी धन्यवाद, जिसने सबसे कठिन परिस्थितियों में भी अपनी ईमानदारी बनाए रखने की इच्छा की। मैं भी जो कुछ कहता हूँ और करता हूँ, उसमें विश्वासयोग्य रहूँ। आमीन

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