सोमवार, 17 मार्च || आत्मिक अमृत
- Honey Drops for Every Soul

- Mar 17
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अध्ययनः लूका 9ः 59-62
प्रभु पहले, परिवार बाद में
‘यीशु ने उन से कहा, “मेरे पीछे चले आओ, वे तुरंत जालों को छोड़कर उसके पीछे हो लिये” ‘ - मत्ती 4ः19
परमेश्वर के पास हममें से प्रत्येक के लिए एक विशिष्ट योजना है। वे हममें से प्रत्येक को पूरा करने के लिए कुछ कार्य देते है, और वे चाहते है कि हमें दिया गया कार्य हम पूरी तरह से खत्म करें। ये सभी कार्य अन्योन्याश्रित हैं। यदि हममें से कोई हमें सौंपे गए कार्य को करने में विफल रहते है, तो इसका प्रभाव राज्य कार्य में शामिल अन्य लोगों पर पड़ेगा। निस्संदेह, विभिन्न चुनौतियाँ हैं जो हमारा विरोध करती हैं और हमें परमेश्वर द्वारा दिए गए कार्य को पूरा करने से रोकती हैं। सबसे चुनौतीपूर्ण आम तौर पर हमारे परिवारों के भीतर से आते हैं। कभी-कभी परिवारों के बंधन हमें प्रभु के उद्देश्य की ओर एक कदम भी आगे नहीं बढ़ाने देते है। आज के पाठ में, हम दो व्यक्तियों के बारे में पढ़ते हैं, जिन्हें यीशु द्वारा बुलाए जाने पर, उन्होंने अपने परिवारों को प्राथमिक बहाना बनाया। पहले ने कहा, ‘‘पहले, मुझे जाकर अपने पिता को दफनाने दो,‘‘ और दूसरे ने कहा, ‘‘पहले, मुझे वापस जाने दो और अपने परिवार को अलविदा कहने दो।‘‘ ‘‘पहले‘‘ शब्द पर ध्यान दें। उनकी पहली प्राथमिकता उनका परिवार था न कि यीशु!
प्रिय मित्रों, प्रभु और उनके राज्य कार्य के प्रति हमारी प्रतिबद्धता हर सांसारिक रिश्ते से पहले होनी चाहिए। लूका 14ः26 में, यीशु ने कहा, ‘‘यदि कोई मेरे पास आए, और अपने पिता और माता और पत्नी और बच्चों और भाइयों और बहिनों वरन प्राण को भी अप्रित न जाने, तो वह मेरा चेला नहीं हो सकता।‘‘ इसका मतलब यह नहीं है कि हमें अपने प्रियजनों से नफरत करनी चाहिए, उन्हें त्याग देना चाहिए और यीशु का अनुसरण करना चाहिए। बल्कि, केवल यहीं कि हम जो प्राथमिकता निर्धारित करते हैं, वह मायने रखती है। आइए हम सदैव प्रभु को पहले और अपने परिवार को बाद में रखें। सांसारिक प्रकृति की कोई भी वस्तु इस क्रम के बीच में न आये। जब हमारे अंदर प्रभु के लिए इतना उत्साह होगा, तो वे और भी अधिक उत्साही होंगे और वे हमारे परिवार की सभी जरूरतों का ख्याल रखेंगे!प्रार्थनाः प्रभु, आपका वचन कहता है कि जब मैं पहले आपके राज्य और आपकी धार्मिकता की तलाश करूंगा, तो बाकी सभी चीजें मेरे साथ जुड़ जाएंगी। इसलिए, मुझे आपके राज्य के काम को पहली प्राथमिकता देने और मेरे सांसारिक रिश्तों को अगली प्राथमिकता देने में मदद करें। मुझे आपका काम करने में पूरे दिल से शामिल होने दो। आमीन।
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