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शुक्रवार, अक्टूबर 18 अध्ययनः उत्पत्ति 39ः14-20, 41ः38-43

  • Writer: Honey Drops for Every Soul
    Honey Drops for Every Soul
  • Oct 18, 2024
  • 2 min read

आत्मिक अमृत

जेल से शिखर तक पहुंचने के लिए बुद्धिमान बनें

बुद्धिमान लड़का दरिद्र होने पर भी ऐसे बूढ़े और मूर्ख राजा से अधिक उत्तम है ३ या बन्दीगृह से निकलकर राजा हुआ हो।

-सभोपदेशक 4ः13,14


युवा लड़ यूसुफ की कहानी इस तथ्य के प्रति आंखें खोलने वाली है कि परमेश्वर उनको को देखते है, उनकी देखभाल करते है, उनकी रक्षा करते है और उनका सम्मान करते है जो सच्चे और वफादार है। वे ऐसा तब भी करते है जब कोई व्यक्ति विनाशकारी प्रतीत होने वाली परिस्थितियों से गुजरता है। आज के पाठ में हमने पढ़ा कि यूसुफ शुद्ध और निर्दोष था, और परमेश्वर की धार्मिकता में चल रहा था। फिर भी, उस पर अपने स्वामी पोतीपर की पत्नी के साथ दुर्व्यवहार करने का झूठा आरोप लगाया गया था। और उस झूठे आरोप के कारण यूसुफ को फिरौन ने अन्यायपूर्वक जेल में डाल दिया। यह विनाशकारी प्रतीत हो रहा था! लेकिन हमने अध्याय 41 में पढ़ा कि परमेश्वर ने अपनी परिस्थितियाँ बदल दीं। वे बन्दीगृह में भी यूसुफ के साथ थे। इस प्रकार यूसुफ को बन्दीगृह के अधिकारी की दृष्टि में अनुग्रह प्राप्त हुआ। इसके बाद, प्रभु ने न केवल उसे जेल से छुड़ाया, बल्कि उन्होंने उसे फिरौन के राज्य में सर्वोच्च अधिकारी, केवल फिरौन के बाद, उस पद तक पहुँचाया। ‘‘जेल से शिखर तक!‘‘ प्रभु परमेश्वर, सर्वशक्तिमान, स्वर्ग और पृथ्वी के शासक के अलावा और कौन इसे कर सकता था!

प्रिय मित्रों, कई बार हम भी मुसीबत में पड़ जाते हैं, अपनी गलतियों के कारण नहीं, बल्कि उन लोगों के झूठे आरोपों के कारण जो हमसे और हमारी आस्था से, हमारे जीवन में हमारे परमेश्वर क्या करते हैं उससे ईर्ष्या करते हैं। ऐसे समय में हम उम्मीद खो बैठते हैं और हमारा दिल दर्द से छटपटाने लगता है। हम आत्म-दया में डूबे रहते हैं और खुद पर विश्वास खो देते हैं। ऐसे समय में, आइए हम अपने विश्वास में दृढ़ रहें, प्रभु पर भरोसा रखें जो हमें बचाने में सक्षम है और हमें अपमानित करने वालों के बीच में हमारा सम्मान भी करने में सक्षम है। फिरौन ने देखा कि यूसुफ परमेश्वर का अभिषिक्त जन था, और वह बुद्धिमान था क्योंकि उसका परमेश्वर उसके साथ था। इतना ही नहीं, फिरौन ने यूसुफ को सम्मान के योग्य पाया। यूसुफ की कहानी हमें प्रोत्साहित करती है कि आपको और मुझे अपनी परिस्थिति से डरने की जरूरत नहीं है, बल्कि हमें अपने प्रभु की शक्ति और ताकत पर भरोसा रखना चाहिए। वे हमारे उद्धार करेंगे। वे हमें ऊँचा उठायेंगे। वे देखेंगे कि हमें वह सम्मान मिले जिसका हमें उचित अधिकार है - ठीक समय पर! आमीन। 
प्रार्थनाः प्रिय प्रभु, मेरी सबसे कठिन परिस्थिति में भी आप पर भरोसा करने में मेरी मदद करें। मेरा दिल परेशान न हो लेकिन निश्चिंत रहें कि मैं जहां भी हूं आप मेरे साथ हैं। यदि मैं आपके प्रति सच्चा और वफादार बना रहूँ, तो आप मुझे बचाएँगे, मुझे ऊँचा उठाएँगे और मुझे महिमा का ताज पहनाएँगे। यीशु के नाम पर मैं प्रार्थना करता हूँ। आमीन

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