शनिवार, अक्टूबर 05 अध्ययनः इफिसियों 5ः15-21
- Honey Drops for Every Soul

- Oct 5, 2024
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आत्मिक अमृत
अपने कदम ध्यान से रखें
इसलिये ध्यान से देखो, कि कैसी चाल चलते हो३” (इफिसियों 5ः15)
पौलुस हमें यहाँ सिखाते है कि ‘‘कैसे चलना है।‘‘ वे लिखते हैं, हमारा ईसाई आचरण या व्यवहार को अब संसार, शरीर और शैतान के अनुसार नहीं होना चाहिए, (इफिसियों 2ः1,2,3) या अन्यजातियों के समान नहीं होना चाहिए। (इफिसियों 4ः17) इसके बजाय इसे प्रेम में और ‘‘प्रकाश के बच्चों‘‘ के रूप में, परमेश्वर के बुलावे के ‘‘योग्य‘‘ होना चाहिए। (इफिसियों 4ः1, 5ः1, 5ः8) हम सभी उन चीजों पर परेशानी उठाते हैं जो मायने रखने वाले जैसे प्रतीत होते हैं - हमारी नौकरी, हमारा घर और परिवार, हमारी पोशाक और दिखावट। ईसाई होने के नाते हमें अपने ईसाई जीवन पर परेशानी उठानी चाहिए। हमें इसे एक गंभीर बात मानना चाहिये। विलियम गर्नॉल कहते हैं, ‘‘बाहरी इंद्रियों - विशेष रूप से आंखों और कानों - पर कड़ी निगरानी रखें - ये शैतान के उतरने के स्थान हैं।‘‘ कैंपबेल मॉर्गन इसका एक सुंदर उदाहरण देते हैं। उन्होंने ऊंची दीवार से घिरे एक खूबसूरत फूलों के बगीचे का वर्णन किया। घुसपैठियों को बाहर रखने के लिए, उन्होंने दीवार के सीमेंट के शीर्ष में टूटे हुए कांच के सैकड़ों टुकड़े रख दिए। एक दिन उसने देखा कि एक बिल्ली दीवार के ऊपर से चलते हुए टूटे शीशे के बीच सावधानी से अपने पैर रख रही थी, हमेशा आगे बढ़ती रहती थी और उसके पंजे कभी नहीं कटते थे। डॉ. मॉर्गन कहते हैं, ‘‘इस पापी दुनिया में सावधानी से चलने का यही मतलब है।‘‘
प्रिय मित्रों, आइए हम सावधान रहें कि हम कैसे चलते हैं, हम हर दिन कैसे समय बिताते हैं। आइए हम अपने कदम सावधानी से चुनें क्योंकि दुश्मन ने हमारे रास्ते में खतरनाक बाधाएँ फैला दी हैं। उसने हमारी ईसाई गवाही को नष्ट करने के लिए हमारे रास्ते में तरह-तरह के जाल और फन्दे फेंके हैं। यदि हम लापरवाह होंगे तो हमें गंभीर दुर्घटनाओं का सामना करना पड़ेगा। आइए हम आत्मा से परिपूर्ण होकर बुद्धिमानी से चलें। प्रार्थनाः प्रिय प्रभु, मुझे हर पल सावधानी से चलने दो और सही रास्ते पर अपने कदम उठाने दो। मेरा चलना संसार, शरीर और शैतान के अनुसार न हो, परन्तु आत्मा से परिपूर्ण हो, और वचन के द्वारा संचालित हो। आमीन।
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