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शनिवार, 09 अगस्त || हे प्रभु, मेरा जीवन ले लो, इसे आपके लिए समर्पित करता हूँ

  • Writer: Honey Drops for Every Soul
    Honey Drops for Every Soul
  • Aug 9
  • 2 min read

आत्मिक अमृत अध्ययनः याकूब 4ः 7-10



इसलिये परमेश्वर के अधीन हो जाओय ‘ (याकूब 4ः7)


समर्पण का अर्थ है खुद को परमेश्वर, उनकी इच्छा और प्रसन्नता के अधीन कर देनाय हमारे विचार, हमारी सलाह, हमारे स्नेह, हमारे कार्य वचन के अनुसार निर्देशित होने चाहिए। जब हम अपने मसीही जीवन को ईमानदारी से देखते हैं, तो हम देख सकते हैं कि हममें से प्रत्येक में कितना ‘‘स्व‘‘ है! यह ‘‘स्व‘‘ ही है जो चिड़चिड़ा, ईर्ष्यालु, क्रोधित, आलोचनात्मक और चिंतित होता है। यह ‘‘स्व‘‘ ही है जो दूसरों के प्रति अपना रवैया में कठोर और अडिग होता है।


प्रिय मित्रों, स्वयं को पूरी तरह से तोड़ा जाना चाहिए, और यह क्रूस पर ही टूटेगा, जहाँ हम यीशु को देखते हैं, जो परमेश्वर के स्वरूप में होकर भी, परमेश्वर के तुल्य होने को अपने वश में रखने की वस्तु नहीं समझा, बल्कि उन्होंने हमारे लिए अपने आप को शून्य कर दिया और उन्होंने सेवक का रूप धारण किया। (फिलिप्पियों 2ः 5-8) हम उन्हें टूटा हुआ देखते हैं जब वे नम्रता से कलवरी में बलि के बकरे बनने के लिए जाते है, अपने शरीर में लोगों के पाप को लेकर वृक्ष पर चढ़ जाते है। भविष्यवाणी के भजन में, वे कहते है, ‘‘मैं तो कीड़ा हूँ, मनुष्य नहीं।‘‘ (भजन 22ः6) हम साँप और कीड़े के बीच का अंतर जानते हैं, जब हम उन पर हमला करने का प्रयास करते हैं। साँप फुफकारता है और वापस हमला करने की कोशिश करता है - यह स्वयं की सच्ची तस्वीर है! लेकिन कीड़ा कोई प्रतिरोध नहीं करता है, यह हमें उसके साथ जो चाहे करने देता है, उसे लात मारने देता है या अपनी एड़ी के नीचे दबाने देता है - यह सच्ची टूटन की तस्वीर है। यीशु हमारे लिए बस यही बनने को तैयार थे - एक कीड़ा। और अब वे हमें उनके जैसा जीने के लिए बुलाते है - प्रतिशोध न करने के लिए, अपने दुश्मनों से प्यार करने के लिए, और निस्वार्थ प्रेम को आगे बढ़ाने के लिए। लेकिन खुद के लिए मरना एक बार में नहीं किया जा सकता है। यह एक सतत प्रक्रिया है। पूरे दिन, हमारे सामने हजारों तरह से चुनाव होंगे। इसका मतलब होगा, अपनी योजनाओं, सुख, पैसे, समय को नकारना। लेकिन जब हम परमेश्वर की अगुवाई के आगे झुकते हैं, तो वे हमें अनुग्रह की अधिक ऊंचाइयों तक ले जायेंगे और हमें और अधिक मसीह जैसा बना देंगे।


प्रार्थनाः प्रिय प्रभु, मुझे अपना अभिमानी हृदय आपकी दया के अधीन करने में, अपने सांसारिक हृदय को आपकी पवित्रता के अधीन करने में, अपने अस्थिर मन को आपकी प्रभुता के अधीन करने में सहायता करें। मुझे बिना किसी शर्त के आपकी इच्छा के अधीन होने के लिए तैयार होने दें, बिना किसी हिचकिचाहट या अनिच्छा के अपना सब कुछ आपके अधिकार के अधीन करने के लिए तैयार होने दें। आमीन

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