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रविवार, 23 मार्च || आत्मिक अमृत

  • Writer: Honey Drops for Every Soul
    Honey Drops for Every Soul
  • Mar 23
  • 2 min read

क्या हम यीशु के प्रार्थना भागीदार हैं?


‘“हे पिता, यदि तू चाहे तो इस कटोरे को मेरे पास से हटा ले, तौभी मेरी नहीं परन्तु तेरी ही इच्छा पूरी हो।” ‘
- लूका 22ः42

धोखा दिए जाने से पहले की रात, यीशु प्रार्थना करने के लिए पतरस, याकूब और यूहन्ना के साथ गतसमनी के बगीचे में गए थे। चूँकि यीशु परमेश्वर के पुत्र है, वे अच्छी तरह से जानते थे कि उन्हें अपमानित किया जाएगा, उनके साथ दुर्व्यवहार किया जाएगा, उन्हें बड़ी पीड़ा और दर्द सहना होगा। उनकी आत्मा को बड़ी वेदना हुई। उन्होंने कहा, ‘‘मेरी आत्मा मृत्यु के बिंदु तक दुःख से अभिभूत है।‘‘ वे जानते थे कि वे मानव जाति के लिए पाप बन जायेंगे और अपने पिता से अलग हो जायेंगे! उन्होंने इस अनुभव को ‘‘पीने का प्याला‘‘ कहा। धर्म शास्त्र कहता हैं कि उन्होंने प्याले के बारे में तीन बार प्रार्थना की और तीन बार शिष्यों के पास लौटे और उन्हें सोते हुए पाया। उन्हें अपने सामने आने वाले परीक्षण और खतरे का कितना कम एहसास था?


लूका का उल्लेख है कि, उनका पसीना खून की बूंदों की तरह थी। चिकित्सा विज्ञान का कहना है कि एक दुर्लभ शारीरिक घटना है जिसे ‘‘हेमेटिड्रोसिस‘‘ के रूप में जाना जाता है, जिसमें अत्यधिक भावनात्मक तनाव के तहत, पसीने की ग्रंथियों में छोटी रक्त वाहिकाएं फट जाती हैं और रक्त और पसीने का मिश्रण उत्पन्न होता है। उनकी पीड़ा देखकर, उन्हें मजबूत करने के लिए स्वर्ग से एक देवदूत आया। लेकिन इस अत्यंत पीड़ादायक घड़ी में उनका कोई भी शिष्य उनके साथ नहीं था। प्रिय दोस्तों, क्या आप अकेले ही कुश्ती और प्रार्थना कर रहे हैं और आपका बोझ बांटने वाला कोई नहीं है? निराश मत होना। पवित्र आत्मा आपके साथ मध्यस्थता कर रहा है और यीशु मसीह आपके लिए पिता से विनती कर रहे है। साहसी बनें और स्थिति का सामना करें। प्रभु आपको मजबूत करेंगे और आप अपनी समस्या से विजयी होकर बाहर निकलेंगे।
प्रार्थनाः प्रिय प्रभु, प्रभु यीशु को कितना अकेलापन महसूस हुआ होगा जब उनके शिष्यों ने भी उन्हें बगीचे में छोड़ दिया था। प्रभु, मुझे बहुत प्रोत्साहन मिला है कि यीशु अब मेरी ओर से आपसे प्रार्थना कर रहे हैं और मैं अब अकेला नहीं हूं। मैं भी आपकी इच्छा के अधीन हूं। मेरी पुकार सुनो और मुझे बचा लो। यीशु के नाम पर मैं प्रार्थना करता हूँ। आमीन

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