रविवार, 03 अगस्त || बेबीलोन का घमंड और उसका पतन
- Honey Drops for Every Soul

- Aug 3
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आत्मिक अमृत अध्ययनः उत्पत्ति 11ः 1-9
‘मनुष्य का गर्व मिटाया जाएगा, और मनुष्यों का घमण्ड नीचा किया जाएगाय३ ‘
- यशायाह 2ः17
जे.आई. पैकर इस अंश को ‘‘आधुनिक दुनिया का दर्पण‘‘ कहते हैं। बेबीलोन के टॉवर के निर्माताओं के कुछ उद्देश्य थे। पहला, एक शहर बनानाय दूसरा, शहर में एक टॉवर बनाना जो स्वर्ग तक पहुँचता होय तीसरा, खुद के लिए एक नाम बनानाय चैथा, पूरी धरती पर नहीं फैलना। अदन के बगीचे में, शैतान ने आदम और हव्वा को धोखा दिया कि बगीचे के बीच में पेड़ का फल खाने से वे परमेश्वर की तरह हो जाएँगे, ‘‘अच्छाई और बुराई दोनों को जानते हुए।‘‘ और वे दोनों शैतान के जाल में फँस गए। यहाँ, बेबीलोम में, फिर से, लोगों ने स्वर्ग तक एक शहर और एक टॉवर बनाकर परमेश्वर की तरह बनने और खुद के लिए एक नाम कमाने का एक और प्रयास किया। वे घोषणा करना चाहते थे, ‘‘हम पृथ्वी पर सबसे महान शहर हैं। कोई भी हमें छू नहीं सकता है।‘‘ अंततः, वे ब्रह्मांड के सर्वोच्च निर्माता, परमेश्वर को भूल गएय वे नहीं जानते थे, ‘‘यदि घर को यहोवा न बनाए, तो उसके बनानेवालों का परिश्रम व्यर्थ होगा।“ (भजन 127ः1) और उनके इस घमंड ने उन्हें पतन की ओर अग्रसर किया। यह हमें राजा नबूकदनेस्सर की याद दिलाता है, जो अपने महल की छत पर चलते हुए अपनी महान शक्ति का बखान करते हुए कहता है, “क्या यह बड़ा बेबीलोन नहीं है, जिसे मैं ही ने अपने बल और सामर्थ्य से राजनिवास होने को और अपने प्रताप की बड़ाई के लिये बसाया है?” (दानिय्येल 4ः30) उसने खुद को परमेश्वर के विरुद्ध ऊंचा किया, जो मानवजाति के शासक है। लेकिन जब ये शब्द उसके मुँह में थे, तब परमेश्वर का क्रोध उस पर टूट पड़ा और उसे परमेश्वर के भयानक न्याय का सामना करना पड़ा।
प्यारे दोस्तों, एक मीनार बनाने में, महत्वाकांक्षा रखने में, जीतने में, जीत का जश्न मनाने में कुछ भी गलत नहीं है, लेकिन हमें सावधान रहना चाहिए कि घमंड, शक्ति, प्रतिष्ठा या प्रसिद्धि हमारी आँखों को अंधा न कर दे और हम अपने निर्माता परमेश्वर को न भूल जाए।प्रार्थनाः प्रिय प्रभु, यह कितना दुखद है कि मानव की स्थिति ठीक वैसी ही है जैसी सदियों पहले थी! लोग खुद ही तय करते हैं कि उनके लिए क्या अच्छा है, उन्हें लगता है कि वे उठकर स्वर्ग में आपका स्थान ले सकते हैं। मुझे सावधान रहना चाहिए कि मैं घमंड को जगह न दूँ, बल्कि आपको सारी महिमा और सम्मान दूँ। आमीन।




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