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बुधवार, जून 04 || अपने संकट में परमेश्वर पर भरोसा रखें। धैर्यपूर्वक उनका इंतजार करें

  • Writer: Honey Drops for Every Soul
    Honey Drops for Every Soul
  • Jun 4
  • 2 min read

आत्मिक अमृत अध्ययनः हबक्कूक 3ः 16-19


‘‘यह सब सुनते ही मेरा कलेजा काँप उठा, मेरे ओंठ थरथराने लगे,३ मैं शांति से उस दिन की बाट जोहता रहूँ जब दल बाँधकर प्रजा चढ़ाई करे।“ - हबक्कूक 3ः 16

   

 जब हबक्कूक ने आगे देखा, तो उसने देखा कि बेबीलोन के हमले के कारण इस्राएल राष्ट्र विनाश की ओर बढ़ रहा है, और इससे वह डर गया। जब उसने भीतर देखा, तो उसने खुद को भय से काँपते हुए देखा। जब उसने आने वाले बेबीलोन के न्याय के बारे में सोचा, तो वह भय से स्तब्ध हो गया। जब उसने चारों ओर देखा, तो उसने हर जगह विपत्ति देखी। लेकिन जब उसने विश्वास से ऊपर देखा, तो उसने परमेश्वर को देखा, और उसके सभी भय गायब हो गए। विश्वास से चलने का अर्थ है - परमेश्वर की महानता और महिमा पर ध्यान केंद्रित करना। हबक्कूक ने याद किया कि इस्राएल के सर्वशक्तिमान परमेश्वर ने अतीत में लगातार अपने लोगों की रक्षा की थी, और उसे उम्मीद थी कि वे अब उन्हें बचायेंगे। लेकिन एक बार जब उसने समझा कि इस्राएल के लिए परमेश्वर की योजना क्या थी, तो हबक्कूक का दृष्टिकोण बदल गया। वह न्याय के आने वाले घंटों में परमेश्वर पर भरोसा करेगा और चाहे कुछ भी हो जाए, वह आनन्दित रहेगा। कोरी टेन बूम का प्रसिद्ध उद्धरण हबक्कूक के मन का प्रतिबिंब है। ‘‘अगर तुम दुनिया को देखोगे तो तुम परेशान होगे। अगर तुम अपने अंदर देखोगे तो तुम उदास होगे। अगर तुम परमेश्वर को देखोगे तो तुम शांत रहोगे।‘‘


प्यारे दोस्तों, जब हम खुद को परिस्थितियों से अभिभूत पाते हैं, आराम और शांति पाने में असमर्थ होते हैं, तो हमें हबक्कूक का अनुकरण करना चाहिए। हमें आगे देखना चाहिए, इस विश्वास के साथ कि मसीह यीशु में हमें दिए गए व्यक्तिगत रूप से परमेश्वर के सभी महान वादे, पूरे होंगे। हबक्कूक चुपचाप प्रतीक्षा कर सकता था क्योंकि वह जानता था कि परमेश्वर काम कर रहे थे और वे अपने दुश्मनों का न्याय अपने समय पर करेंगे। जब हमें विश्वास होता है कि परमेश्वर हमारे जीवन में काम कर रहे है, तो हम चुपचाप प्रतीक्षा कर सकते हैं और उन्हें अपना रास्ता अपनाने दे सकते हैं - जो हमेशा सबसे अच्छा होगा।

प्रार्थनाः प्रिय प्रभु, चाहे मैं अपने आस-पास कुछ भी देखूं और चाहे मैं कैसा भी महसूस करूं, मुझे आपके वादों पर निर्भर रहने दें और खुद को टूटने न दें। जब भी दुख की हवाएं तेज चले, तूफान आए,तो मुझे आपके सत्य के वचन को मजबूती से थामे रहने दें, लेकिन आपकी उपस्थिति और सांत्वना हमेशा बनी रहेगी। आमीन

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