बुधवार, 30 जुलाई || क्या आप चाहते हैं कि प्रभु आप पर कृपादृष्टि करें?
- Honey Drops for Every Soul

- Jul 30
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आत्मिक अमृत अध्ययनः 2 शमूएल 7ः18-28
परन्तु मैं उसी की ओर दृष्टि करूंगा, जो दीन और खेदित मन का हो, और मेरे वचन सुनकर थरथराता है।‘‘ - यशायाह 66ः2
परमेश्वर ऐसे लोगों की तलाश कर रहे हैं जो आत्मा में पश्चातापी हैं - न कि घमंडी। ‘पश्चाताप करने वाले‘ शब्द का शाब्दिक अर्थ ‘अफसोस करने वाला‘ है। एक घमंडी दिल कभी भी अपने किसी भी काम के लिए खेद या पश्चाताप महसूस नहीं कर सकता है। परमेश्वर की कृपा से हम पर नजर डालने के लिए, हमारे पास तीन गुण होने चाहिए। सबसे पहला गुण विनम्रता है। दाऊद, एक महान योद्धा और एक प्रसिद्ध राजा होने के बावजूद, हमेशा अपनी सारी महानता का श्रेय अपने परमेश्वर को देने की विनम्रता रखता था। दूसरा, हमारे पास जानबूझकर या अनजाने में किए गए गलत कामों के लिए पश्चाताप करने वाला स्वभाव होना चाहिए। जब भविष्यक्ता नाथन ने दाऊद से बतशेबा के साथ पाप करने के बाद, परमेश्वर के संदेश के साथ सामना किया, तो नाथन को फटकारने के लिए अपने अधिकार का इस्तेमाल करने के बजाय, दाऊद ने पश्चाताप महसूस किया, उन्होंने तुरंत पश्चाताप किया और वे परमेश्वर की ओर मुड़े और उन्होंने उनसे क्षमा मांगी। (भजन संहिता 51) तीसरा, परमेश्वर के वचन को उचित सम्मान दिया जाना चाहिए। यह वही है जो उस व्यक्ति से अपेक्षित है जो प्रभु का अनुग्रह पाना चाहता है। दाऊद ने हमेशा परमेश्वर के वचन को बहुत सम्मान दिया। उसने कहाः ‘‘हे प्रभु यहोवा, तू ही परमेश्वर है, और तेरे वचन सत्य हैं, और तू ने अपने दास को यह भलाई करने का वचन दिया है।‘‘ (2 शमूएल 7ः 28)
प्यारे दोस्तों, देखिए शमूएल ने शाऊल को दाऊद के बारे में कैसे गवाही दीः “यहोवा ने अपने लिये एक ऐसे पुरुष को ढूँढ़ लिया है जो उसके मन के अनुसार हैय और यहोवा ने उसी को अपनी प्रजा पर प्रधान होने को ठहराया है।“ अगर आज हम चाहते हैं कि प्रभु हम पर कृपा करें, तो हमें भी उनके सामने खुद को नम्र करना चाहिए, उनके सामने आना चाहिए, उनके वचन का भय मानना चाहिए और अपने गलत कामों से पश्चाताप करना चाहिए। तब प्रभु हमारे बारे में कहेंगेः “यही वह है जिसे मैं अपनी कृपा दिखाने के लिए ढूँढ़ रहा था।”प्रार्थनाः सर्वशक्तिमान परमेश्वर, मैं अक्सर आपकी नजरों में कृपा पाने की इच्छा रखता हूँ, लेकिन आज मैंने सीखा है कि उस कृपा को पाने के लिए मुझे नम्रता दिखानी चाहिए, साथ ही पश्चातापी भावना रखनी चाहिए और आपके वचन का पालन करना चाहिए। अपनी पवित्र आत्मा की मदद से मुझे ऐसा बनने में मदद करें। धन्यवाद। यीशु के नाम में मैं प्रार्थना करता हूँ। आमीन।




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