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बुधवार, 24 सितंबर || उनका अटूट प्रेम महान है

  • Writer: Honey Drops for Every Soul
    Honey Drops for Every Soul
  • Sep 24
  • 2 min read

आत्मिक अमृत अध्ययनः अय्यूब 42ः10-17


“चाहे वह दुख भी दे, तौभी अपनी करुणा की बहुतायत के कारण वह दया भी करता है;”

- विलापगीत 3ः32


 कभी-कभी हमारे मसीही जीवन में, जब हम कष्टों से गुजरते हैं, तो हम टूट जाते हैं। लेकिन आइए हम हौसला रखें। निश्चय ही हमारी सभी समस्याओं का अंत है, क्योंकि प्रभु मनुष्यों को हमेशा के लिए त्याग नहीं देते है। (विलापगीत 3ः31) यूसुफ को केवल सत्रह वर्ष की आयु में ही कष्टों के मार्ग से गुजरना पड़ा था। तेरह वर्षों तक, उसे एक के बाद एक समस्याओं का सामना करना पड़ा। लेकिन प्रभु ने उसे नहीं छोड़ा। उन्होंने उस पर अपनी दया दिखाई और उसे मिस्र का राज्यपाल बनने के लिए उत्कृष्ट किया। अय्यूब के जीवन पर विचार करें। उसने शारीरिक और मानसिक रूप से बहुत पीड़ा झेली। लेकिन जब यह कष्ट का दौर खत्म हुआ, तो अय्यूब ने पहले से कहीं ज्यादा परमेश्वर के अटूट प्रेम का अनुभव किया। अय्यूब 42ः12 कहता है, ‘‘यहोवा ने अय्यूब के बाद के दिनों में उसके पहले के दिनों से अधिक आशीष दीय” और वचन 16 कहता है, ‘‘इसके बाद अय्यूब एक सौ चालीस वर्ष जीवित रहा, और चार पीढ़ी तक अपना वंश देखने पाया।‘‘ 


प्रिय मित्रों, दुख और बीमारी की इस घाटी से गुजरते हुए हमें निराश नहीं होना चाहिए, क्योंकि ये वो दिन हैं जब ईश्वर हमारे बहुत करीब हैं। समस्याओं को देखने के बजाय, आइए हम अपनी आध्यात्मिक आँखें खोलें और अपने दयालु परमेश्वर को हमारे साथ चलते हुए देखें। उन्होंने यहोशू 1ः5 में वादा किया है, ‘‘जैसा मैं मूसा के संग रहा, वैसे ही तेरे संग भी रहूँगा। और न तो मैं तुझे धोखा दूँगा, और न तुझ को छोड़ूँगा।‘‘ और व्यवस्थाविवरण 31ः 6 में, उन्होंने वादा किया है, ‘‘तू हियाव बाँध और दृढ़ हो, उनसे न डर और न भयभीत हो, क्योंकि तेरे संग चलनेवाला तेरा परमेश्वर यहोवा हैय वह तुझ को धोखा न देगा और न छोड़ेगा।“ जिन्होंने वादा किया है, वे विश्वासयोग्य है। तो आइए हम उनके अटूट प्रेम पर भरोसा रखें, उनके वादों को थामे रहें और विजयी होकर बाहर निकलें। 

प्रार्थनाः सर्वशक्तिमान परमेश्वर, जैसे-जैसे मैं दुख के इस मार्ग से गुजर रहा हूँ, मैं आप पर भरोसा करता हूँ और आशा के साथ आपसे जुड़ा हूँ। मुझे विश्वास है कि ये परीक्षाएँ केवल थोड़े समय के लिए हैं, और आपकी कृपा मुझे घेरे हुए है, मुझे सुरक्षित रखती है, और निश्चित रूप से मुझे बचाएगी क्योंकि मैं आपका प्रिय पुत्र हूँ। आमीन।

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