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बुधवार, 23 जुलाई || प्रेम से घृणा पर विजय पाएँ

  • Writer: Honey Drops for Every Soul
    Honey Drops for Every Soul
  • Jul 23
  • 2 min read

आत्मिक अमृत अध्ययनः मत्ती 5ः1-16



“धन्य हैं वे, जो मन के दीन हैं, क्योंकि स्वर्ग का राज्य उन्हीं का है।” - मत्ती 5ः3


    पहाड़ी उपदेश में, यीशु ने दो अभिव्यक्तियों का अक्सर इस्तेमाल किया। एक था ‘‘तुमने सुना है‘‘ और दूसरा था ‘‘लेकिन।‘‘ दुनिया का चलन है कि ‘‘उस पर मुकदमा करो‘‘, ‘‘जैसे का तैसा करो‘‘ और इसी तरह की बातें। यह जानते हुए, यीशु ने कहा, ‘‘तुम सुन चुके हो कि कहा गया था, ‘आँख के बदले आँख, और दांत के बदले दाँत।‘‘‘ फिर उन्होंने कहा, ‘‘परंतु मैं तुम से यह कहता हूँ कि जो कोई तेरे दाहिने गाल पर थप्पड़ मारे, उसकी ओर दूसरा भी फेर दे।‘‘ दूसरा गाल क्यों आगे करें? क्योंकि ‘घृणा‘ बीज की तरह बढ़ती है। कल्पना कीजिए कि एक आदमी दस आदमियों को घृणा और हिंसा के बारे में उपदेश दे रहा है और पहले आदमी से कहता है कि दूसरे को मारो और दूसरे से तीसरे को। घृणा उन सभी को घेर लेगी। इस घृणा की श्रृंखला को रोकने का एकमात्र तरीका है कि पंक्ति में एक आदमी, मान लीजिए पाँचवाँ, अपना दूसरा गाल उस व्यक्ति की ओर कर दे जिसने उसे मारा है। यहीं पर घृणा समाप्त हो जाती है और कभी आगे नहीं बढ़ती है। यीशु यही चाहते हैं कि हम अपने विरोधियों के साथ ऐसा करें क्योंकि जब कोई प्रतिरोध नहीं किया जाता है, तो विरोधी प्रेम की शक्ति से जीत जाता है। उस व्यक्ति को दया का पत्र लिखना जो आपको मूर्ख कहता है, उस व्यक्ति को उपहार देना जो आपसे चोरी करना चाहता है, उस व्यक्ति को कभी भी घृणा से जवाब न देना जो आपकी निंदा करता है और कहता है कि आप विश्वासघाती हैं - ये वे कठिन बातें हैं जो मसीह सिखाने आए थे। एक लेखक लिखते हैं, “धन्य वचन को लेकर नहीं चला जा सकता है। वे आदर्श नहीं हैं। वे कठोर तथ्य और वास्तविकताएँ हैं, जो कलवरी के क्रूस से अविभाज्य हैं। मसीह ने हमें जो सिखाया है वह खुद को क्रूस पर चढ़ाना है, उन लोगों से प्यार करना जो हमसे नफरत करते हैं, उन लोगों को माफ करना जो हमें गाली देते हैं, उन लोगों को आशीर्वाद देना जो हमें शाप देते हैं, बुराई को अच्छाई से जीतना।‘‘


   प्यारे दोस्तों, आइए हम वैसा न जिएँ जैसा दुनिया चाहती है, बल्कि वैसा जिएँ जैसा यीशु चाहते हैं। आइए हम खुद को नकारें, अपने शरीर को क्रूस पर चढ़ाएँ, और अंततः स्वर्ग के राज्य में अनंत आनंद और महिमा के भागीदार बनें।

प्रार्थनाः प्यारे प्रभु, दुनिया का तरीका है उस व्यक्ति से बदला लेना जो उसके साथ बुरा व्यवहार करता है। लेकिन मुझे दुनिया के रास्ते पर न चलने दें। मुझे नफरत को प्यार से और बुराई को अच्छाई से जीतने में मदद करें। मुझे एक विनम्र और दीन आत्मा दें ताकि मैं स्वर्ग के राज्य में प्रवेश कर सकूँ। आमीन

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