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गुरुवार, जुलाई 24 || यीशु के लहू से पवित्र हो जाओ

  • Writer: Honey Drops for Every Soul
    Honey Drops for Every Soul
  • Jul 24
  • 2 min read

आत्मिक अमृत अध्ययनः निर्गमन 40ः12-16



उसके पुत्र यीशु का लहू हमें सब पापों से शुद्ध करता है।‘‘ - 1 यूहन्ना 1ः7

   

   इससे पहले कि याकूब अपने घराने के साथ बेतेल में यहोवा की आराधना करने के लिए एक वेदी बनाने आए, उसने उन सभी को यह कहते हुए निर्देश दिया, “तुम्हारे बीज में जो पराए देवता है, उन्हें निकाल फेंकोय और अपने अपने को शुद्ध करो, और अपने वस्त्र बदल डालो।“ (उत्पत्ति 35ः2) मूसा ने भी इस बात पर जोर दिया कि इस्राएलियों को खुद को पवित्र करना चाहिए और अपने कपड़े धोने चाहिए। निर्गमन 19ः10-11 में, प्रभु ने मूसा से कहा, “लोगों के पास जा और उन्हें आज और कल पवित्र करना, और वे अपने वस्त्र धो लें, और वे तीसरे दिन तक तैयार हो जाएँ, क्योंकि तीसरे दिन तक तैयार हो जाएँय क्योंकि तीसरे दिन यहोवा सब लोगों के देखते सीनै पर्वत पर उतर आयेंगे।” इसी तरह, अपनी मृत्यु से पहले, यहोशू ने, जब उसने शेकेम में प्रभु की वाचा को नवीनीकृत किया, तो इस्राएलियों को उन देवताओं को त्यागने का निर्देश दिया, जिनकी उनके पूर्वज पूजा करते थे। उसने उन्हें इस्राएल के परमेश्वर, प्रभु की सेवा करने और अपने दिलों को केवल उन्हीं को समर्पित करने का आदेश दिया। (यहोशू 24ः23)

   

      पुराने नियम के दिनों में, इस्राएली अपने आपको बाहरी रूप से पानी से धोते थे, जो केवल एक अस्थायी सफाई थी। लेकिन नए नियम की अवधि में, प्रभु हमारे हृदयों की पवित्रता की माँग करते हैं। परमेश्वर के प्रति हमारा दृष्टिकोण अब जानवरों के रक्त के छिड़काव से जुड़ा नहीं है। अब यह यीशु का रक्त है जिसके द्वारा हम शुद्ध होते हैं। इब्रानियों 10ः19 कहता है कि, ‘‘हमें यीशु के लहू के द्वारा उस नए और जीवते मार्ग से पवित्र स्थान में प्रवेश करने का हियाव हो गया है,‘‘ (इसलिए) ‘‘हम सच्चे मन और पूरे विश्वास के साथ, और विवेक का दोष दूर करने के लिये हृदय पर छिड़काव लेकर, और देह को शुद्ध जल से धुलवाकर परमेश्वर के समीप जाएँ।“ (वचन 22) एक शुद्ध हृदय सही इरादों को दर्शाता है। प्यारे दोस्तों, हम प्रभु की आराधना कैसे करते हैं? क्या हमारे इरादे सही हैं? जब भी हम प्रार्थना में घुटने टेकते हैं, जब भी हम प्रभु की उपस्थिति में प्रवेश करते हैं, तो हमें पहले यीशु के लहू से शुद्ध होना चाहिए और फिर उनकी आराधना और स्तुति करनी चाहिए।

प्रार्थनाः सर्वशक्तिमान परमेश्वर, जब मैं आपकी उपस्थिति में आता हूँ, तो मुझे यीशु के लहू से शुद्ध कर दीजिए। मेरे सारे पाप मिटा दीजिए। मुझे यह बात अपने मन में बिठाने दीजिए कि आप एक अद्भुत और महान परमेश्वर हैं, और मुझे आपके पास हृदय की शुद्धता के साथ आना चाहिए। यीशु के अनमोल नाम में मैं प्रार्थना करता हूँ। आमीन

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