top of page

गुरुवार, 19 जून || शक्ति प्राप्त करने के लिए प्रतीक्षा करें!

  • Writer: Honey Drops for Every Soul
    Honey Drops for Every Soul
  • Jun 19
  • 2 min read

आत्मिक अमृत अध्ययनः प्रेरितों के काम 2ः1-4



‘‘... पिता की उस प्रतिज्ञा के पूरे होने की बाट जोहते रहो ... थोड़े दिनों के बाद तुम पवित्र आत्मा से बपतिस्मा पाओगे।‘‘ - प्रेरितों के काम 1ः 4,5

     


 यीशु ने अपने पिता के पास जाने से पहले अपने शिष्यों को आज्ञा दी थी कि वे यरूशलेम न छोड़ें, बल्कि वहाँ पर पवित्र आत्मा का उपहार पाने के लिए प्रतीक्षा करें। (प्रेरितों 1ः4,5) और प्रेरितों 2ः1-4 में, हम उनके वादे की पूर्ति देखते हैं। यह ध्यान रखना दिलचस्प है कि, जिस तरह यीशु की सांसारिक सेवकाई की शुरुआत उनके ऊपर आत्मा के आने से हुई थी, (लूका 3ः21-22) उसी तरह यीशु के शिष्यों की सेवकाई की शुरुआत उनके ऊपर पवित्र आत्मा के आने से हुई थी। (प्रेरितों 2ः1-4) जिस तरह यीशु को आत्मा द्वारा सशक्त बनाया गया था, उसी तरह शिष्यों को भी यीशु के नाम पर सेवकाई करने और पृथ्वी के सबसे दूर के हिस्से में उनके गवाह बनने के लिए पवित्र आत्मा की शक्ति की आवश्यकता थी। (प्रेरितों 1ः8) इसलिए शिष्य, जिनमें से 120 थे, सभी एक जगह पर एकत्रित थे। वे सभी उस एक जगह पर क्या कर रहे थे? एक शब्द में, वे आज्ञाकारी थे - प्रतीक्षा करने के लिए प्रभु के निर्देश का पालन कर रहे थे। (प्रेरितों 1ः4) उनका इंतजार करना परमेश्वर के वचन में उनके भरोसे का स्पष्ट प्रतिबिंब था। वे पूरे दिल से उस पर विश्वास करते थे जो यीशु ने कहा था और जो उन्होंने उन्हें करने के लिए निर्देश दिया था। वे नहीं जानते थे कि उन्हें कितने समय तक इंतजार करना होगा। उनके लिए यह सोचना आसान होगा कि पवित्र आत्मा उसी दिन उन पर उतरेगी जिस दिन यीशु स्वर्ग में चढ़े थे या 3 दिन या 5 दिन बाद। लेकिन उन्हें पूरे 10 दिन तक इंतजार करना पड़ा। हम कल्पना कर सकते हैं कि इस दौरान उनके धैर्य की कितनी परीक्षा हुई होगी, फिर भी वे सभी एक साथ रहे।

 


   प्रिय मित्रों, क्या हमारे पास इस तरह का विश्वास है, जो प्रभु की प्रतीक्षा करने के लिए तैयार है ताकि हम उनके वादों को प्राप्त कर सकें, जो प्रेरितों के काम 2 में, सेवा के लिए उनकी अलौकिक शक्ति थी? या क्या हम थक जाते हैं, अधीर हो जाते हैं, प्रतीक्षा करना छोड़ देते हैं और अपनी ताकत पर निर्भर होकर आगे बढ़ जाते हैं? यशायाह 40ः31 कहता है कि, जो लोग प्रभु की प्रतीक्षा करते हैं, वे नई ताकत प्राप्त करेंगे। वे अपनी ताकत को परमेश्वर की ताकत से बदल देंगे। हमारी प्रार्थना दाऊद की तरह होनी चाहिए। ‘‘हे यहोवा, आपने मार्ग मुझ को दिखलाय अपना पथ मुझे बता दे३ मैं दिन भर तेरी ही बाट जोहता रहता।‘‘ (भजन संहिता 25ः 4,5)

प्रार्थनाः प्रिय प्रभु, शिष्यों को नहीं पता था कि कब तक, लेकिन वे पवित्र आत्मा के बपतिस्मा के उपहार की प्रतीक्षा करते रहे, आज्ञाकारिता में आपके वचन पर भरोसा करते रहे। मुझे थका हुआ न होने दें, बल्कि आपकी अलौकिक शक्ति की प्रतीक्षा करते रहें, जिसके बिना मैं आपकी सेवा के लिए दुनिया में नहीं जा सकता हूँ। आमीन

Our Contact:

EL-SHADDAI LITERATURE MINISTRIES TRUST, CHENNAI - 59.

Office: +91 9444456177 || https://www.honeydropsonline.com

Comments

Rated 0 out of 5 stars.
No ratings yet

Add a rating
bottom of page