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गुरुवार, 10 जुलाई || अब समय आ गया है कि हम परमेश्‍वर की ओर मुड़ें

  • Writer: Honey Drops for Every Soul
    Honey Drops for Every Soul
  • Jul 10
  • 2 min read

आत्मिक अमृत अध्ययनः लूका 15ः 11-24



‘‘मैं अब उठकर अपने पिता के पास जाऊँगा और उससे कहूँगा कि पिता जी, मैं ने स्वर्ग के विरोध में और तेरी दृष्टि में पाप किया है।‘‘ - लूका 15ः 18


      इस दृष्टांत में यीशु ने छोटे बेटे के बारे में बताया जिसने अपना घर छोड़ दिया और अपनी विरासत को पापपूर्ण जीवन में बर्बाद कर दिया था। जब उसका सारा पैसा खत्म हो गया, तो उसने सूअर चराने का काम किया। वह बहुत नीचे गिर गया और जितना हो सकता था उतना नीचे गिर गया था। जब वह सूअरों से घिरा हुआ, भूखा, असहाय और निराश बैठा था, तो उसने अपने घर, अपने पिता और अपने घर के नौकरों के बारे में सोचा। और वह “अपने होश में आया।” (लूका 15ः17) वह जिस दिशा में जा रहा था उसे बदलना चाहता था, अपने पिता के घर वापस लौटना चाहता था और स्वीकार करना चाहता था कि वह कितना गलत था। उसने अपने पिता की अच्छाई, करुणा, उदारता और दया को याद किया और उनसे क्षमा माँगना चाहता था। वह अपने पिता के पैरों पर गिरने के लिए तैयार था, इस उम्मीद में कि उसे दया मिलेगी, जिसका वह हकदार नहीं था, न कि न्याय, जिसका वह हकदार था। मन में यह बदलाव पश्चाताप है। पश्चाताप तब होता है जब कोई व्यक्ति एक दिशा में जा रहा होता है, फिर वह नीचे के स्तर को छूता है, और महसूस करता है कि वह अब और आगे नहीं जा सकता, यू टर्न लेता है और नई दिशा में चलता है। पश्चाताप हमारे पाप से मुड़ना है और स्वयं परमेश्वर की ओर मुड़ना है।

 

      प्यारे दोस्तों, यह दृष्टांत दिखाता है कि चाहे हम पाप में कितने भी नीचे क्यों न गिर गए हों, अगर हम अपने पापों से परमेश्वर की ओर मुड़ेंगे तो उम्मीद है। अगर आप कहते हैं, ‘‘नहीं, मैं बहुत दूर चला गया हूँ,‘‘ तो आप सिर्फ बहाने बना रहे हैं और उस निमंत्रण को स्वीकार नहीं कर रहे हैं जो परमेश्वर हर दोषी पापी को देते हैं। अभी पिता के पास आओ। न केवल वह हमें क्षमा करते है बल्कि हमें पुत्रत्व की आत्मा देते है और हमें अपने बच्चों, परमेश्वर के वारिस और मसीह के साथ सह-वारिस के रूप में स्वीकार करते है।

प्रार्थनाः प्रिय प्रभु, मैंने वह संगति खो दी है जिसका मैं कभी आपके साथ आनंद लेता था। मैं आपसे बहुत दूर चला गया हूँ। मैंने ऐसे काम किए हैं जो आपकी नजर में घृणित हैं। मैं आपके पास आने के योग्य नहीं हूँ। हे दयालु पिता, मुझे क्षमा करें। मैं विनम्रतापूर्वक आपसे विनती करता हूँ कि आप मुझे अपना स्वीकार करें। आमीन

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