गुरुवार, 01 मई || सुबह-सुबह हमें नई दया मिलती है
- Honey Drops for Every Soul

- May 1
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आत्मिक अमृत अध्ययनः विलापगीत 3ः 21-25
“हम मिट नहीं गएय यह यहोवा की महाकरुणा का फल है, क्योंकि उसकी दया अमर है। प्रति भोर वह नई होती रहती हैय तेरी सच्चाई महान् है।“ - विलापगीत 3ः22-23
यहाँ, “करुणा” शब्द का उल्लेख बहुवचन में किया गया है। परमेश्वर की करुणा वास्तव में बहुवचन है क्योंकि उनकी दया तीव्र और असीम है। यह निरंतर परमेश्वर की उपस्थिति से, लहर दर लहर, आती रहती है। परमेश्वर की दया की नदियाँ निरंतर और भरपूर बहती हैं, और कभी सूखती नहीं हैं। “करुणा” शब्द हिब्रू शब्द “गर्भ” से आता है, और हमें दिखाता है कि परमेश्वर हमारे लिए जो चिंता और देखभाल करते है, वह एक माँ की अपने नवजात शिशु के प्रति चिंता और देखभाल की तरह है। परमेश्वर की करुणा उनके भीतर से निकलती है और हमारे जीवन में प्रवाहित होती है। यिर्मयाह यहाँ कहता है कि प्रभु की करुणा हर सुबह नई होती है। याद रखें, परमेश्वर ने अपने लोगों को हर दिन मन्ना भेजा जब वे जंगल में थे। आज भी, परमेश्वर अपने वाचा के लोगों को अपने प्यार और करुणा की एक नई आपूर्ति प्रदान करते है। जंगल में मन्ना की तरह, यह आपूर्ति हर नई सुबह होती है। इसका कम से कम दो अर्थ हैं। पहला, हम कभी भी कल के आशीर्वाद पर नहीं जीते है। जैसे हर सुबह ओस गिरती है, परमेश्वर का आशीर्वाद हर सुबह हमारे पास आता है। दूसरा, परमेश्वर की कृपा हर सुबह हमें ताजा मिलती है। जिस तरह सूरज हर सुबह अपनी नई चमक के साथ उगता है, उसी तरह परमेश्वर की कृपा हम पर हर दिन नई और ताजा होती है। उनकी दया दिन-प्रतिदिन आती है। उनकी आपूर्ति तब आती है जब हमें इसकी जरूरत होती है - न पहले और न ही बाद में। परमेश्वर हमें वह देते है जिसकी हमें आज जरूरत है।
प्रिय मित्रों, आइए हम प्रोत्साहित हों। हम चाहे कितनी भी मुश्किल परिस्थितियों से गुजरें, हमें कभी भी परमेश्वर की वफादारी पर संदेह नहीं करना चाहिए। आइए हम परमेश्वर पर भरोसा करें। परमेश्वर हमारे हर कदम पर हमारे प्रति वफादार है। हर दिन जब हम उठेंगे, तो परमेश्वर पहले से ही हमारा ख्याल रख रहे होंगे। उनकी कृपा, शक्ति और प्रेम हमारे जीवन का उतना ही हिस्सा होगा जितना कि साँस लेना। तो आइए हम हर नए दिन परमेश्वर का हाथ थामे रहें और आत्मविश्वास के साथ चलें।प्रार्थनाः प्रिय प्रभु, आपकी करुणा के लिए धन्यवाद जो हर नई सुबह समुद्र की लहरों की तरह मुझ पर बहती है। आपने मुझे हर दिन सहारा देने के लिए अपनी शक्ति और अनुग्रह दिया है। आप एक वफादार परमेश्वर हैं जो कभी असफल नहीं होते है। मुझे आप पर भरोसा करने और आपके वचन पर कभी संदेह न करने में मदद करें। आमीन।
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