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शुक्रवार, जून 06 || हमें बड़ी संख्या की जरूरत नहीं है, हमें जीत के लिए परमेश्वर की जरूरत है

  • Writer: Honey Drops for Every Soul
    Honey Drops for Every Soul
  • Jun 6
  • 2 min read

आत्मिक अमृत अध्ययनः 1 शमूएल 14ः 1-12



‘‘... क्योंकि यहोवा के लिये कोई रुकावट नहीं, कि चाहे तो बहुत लोगों के द्वारा चाहे थोड़े लोगों के द्वारा छुटकारा दे।“ - 1 शमूएल 14ः 6

     

 लोहे के हथियारों और रथों से सुसज्जित बहुत से पलिश्ती योद्धा इस्राएलियों के विरुद्ध लड़ने के लिए मिकमाश में डेरा डाले हुए थे। जब शाऊल अपने आदमियों के साथ अनार के पेड़ के नीचे आराम ले रहा था, तब योनातान ने अपने हथियार-वाहक के साथ दूसरी तरफ पलिश्तियों की चैकी को पार करने का साहसपूर्ण प्रयास किया। पलिश्तियों की तरफ जाने के लिए योनातान को एक खड़ी पहाड़ी से नीचे घाटी में उतरना पड़ा और फिर दूसरी तरफ खड़ी पहाड़ी पर चढ़ना पड़ा। इसमें बहुत तनाव और दबाव शामिल था। लेकिन योनातान ने अपने हथियार-वाहक से कहा, ‘‘आ, हम उन खतनारहित लोगों की चैकी के पास जाएँय क्या जाने यहोवा हमारी सहायता करेंय क्योंकि यहोवा के लिये कोई रुकावट नहीं, कि चाहे तो बहुत लोगों के द्वारा चाहे थोड़े लोगों के द्वारा छुटकारा दे।‘‘ योनातान का रवैया था, ‘‘परमेश्वर के लिए कुछ भी कठिन नहीं है और कोई भी चीज उन्हें रोक नहीं सकती है।‘‘ यह अंश कितना शानदार विरोधाभास प्रस्तुत करता है। यह ‘‘पिता जैसा बेटा‘‘ नहीं है। पिता शाऊल डरता था, अविश्वासी और असफल था। बेटा योनातान साहसी था, विश्वास से भरा हुआ था और सफल था। विश्वास परिस्थितियों को नहीं, बल्कि परमेश्वर को देखता है। योनातान ने एक साहसी और जोखिम भरा काम किया, इस विश्वास के साथ कि परमेश्वर अपने लोगों को बचा सकते है। उसने अपने विश्वास को अपने दृष्टिकोण को व्यापक बनाने दिया और उसने दृश्यमान से परे देखा। योनातान को खुद पर बहुत कम विश्वास था, लेकिन परमेश्वर पर बहुत विश्वास था। यह नहीं था, “मैं परमेश्वर की मदद से एक बड़ी जीत हासिल कर सकता हूँ।” यह था “परमेश्वर मेरे माध्यम से एक बड़ी जीत हासिल कर सकते है - यहाँ तक कि मेरे द्वारा भी!”


प्रिय मित्रों, पवित्र शास्त्र से यह स्पष्ट है कि जब बात परमेश्वर की आती है, तो जीत का संख्याओं से बहुत कम लेना-देना होता है। युद्ध जीतने के लिए परमेश्वर को बड़ी संख्या की आवश्यकता नहीं है। परमेश्वर कुछ ऐसे वफादार लोगों की तलाश करते है जो उनके वचन का पूरी तरह से पालन करने के लिए तैयार हों। क्या हम परमेश्वर के लिए आस्था के साथ आगे बढ़ने के लिए तैयार हैं?

प्रार्थनाः प्रिय प्रभु, योनातान को शायद सब कुछ असंभव लग रहा था, लेकिन वह जानता था कि आप उसके साथ हैं तो हमेशा जीत होगी। वह अपनी ताकत पर निर्भर नहीं था, न ही उसने संख्या देखी, बल्कि उसने अपना विश्वास आप पर टिकाया। मुझे आप पर निर्भर रहने दें और आपकी शक्ति से दुश्मन से लड़ने दें। आमीन

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