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शनिवार, 4 अक्टूबर || परमेश्वर के साथ मिशन पर

  • Writer: Honey Drops for Every Soul
    Honey Drops for Every Soul
  • Oct 4
  • 2 min read

आत्मिक अमृत अध्ययनः इब्रानियों 13ः 20-21


 जो कुछ उसको भाता है उसे यीशु मसीह के द्वारा हम में उत्पन्न करे ‘ इब्रानियों 13ः21


प्रभु ने विद्रोही मानवजाति पर दृष्टि डाली और एक ऐसी दुनिया देखी जो जरूरतों से ग्रस्त थी। उन्होंने टूटन और पीड़ा, निराशा और बीमारी, पाप और विद्रोह देखा। उन्होंने कैसे प्रतिक्रिया दी? उन्होंने जरूरतों को पूरा किया। कैसे? उन्होंने अपने इकलौते पुत्र को संसार में भेजा ताकि नाशवान आत्माओं को अनंत विनाश से बचाया जा सके। वे प्रेम और करुणा के परमेश्वर हैं। बस इतना ही नहीं। उन्होंने हमें अपना स्वभाव दिया है, और वे चाहते हैं कि हम उनके उद्धारक कार्य में शामिल हों। हम केवल उनके अनुग्रह के प्राप्तकर्ता नहीं हैं। हम उनके कार्यकर्ता हैं, हम उनके साथ मिलकर काम करते हैं। हमारे चारों ओर पीड़ित लोग और पापी जीवन-शैली है। जिस परमेश्वर ने हमें बचाने के लिए यीशु को इस संसार में भेजा, वे हमें अपने मिशन को आगे बढ़ाने के लिए इस संसार में भेजते है। क्यों? क्योंकि वे जरूरतों को पूरा करने के लिए हमारे माध्यम से कार्य करना चाहते है। प्रेम, करुणा, दया, शांति और आशा के परमेश्वर हमें अपने प्रेम के साधन के रूप में उपयोग करना चाहते है। यही नए नियम की कलीसिया की तस्वीर है। परमेश्वर ने हमें अपने उद्धारक कार्य को पूरा करने के लिए अपने साथ साझेदारी में खींचा है। मुक्ति का अर्थ केवल परमेश्वर के साथ सही तालमेल बिठाना नहीं है, बल्कि उनके साथ पूरी तरह से ‘‘तालमेल‘‘ बिठाना है। हमें हर उस तरीके से उन्हें प्रतिबिंबित करना है जिस तरह से उन्होंने स्वयं को प्रकट किया है, और हमारे प्रतिबिंब का एक हिस्सा उन लोगों के लिए उत्साही करुणा रखना है जिन्हें उनकी जरूरत है। वे अपनी इच्छा पूरी करने के लिए हममें कार्य करते है।


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प्रिय मित्रों, प्रश्न यह है कि परमेश्वर ने स्वयं को हम पर प्रकट किया है, लेकिन अब मुद्दा यह है कि क्या वे स्वयं को हमारे माध्यम से उस संसार पर प्रकट कर रहे है जो अत्यंत आवश्यकता में है। इस प्रश्न का हमारा उत्तर महत्वपूर्ण है। क्या मैं परमेश्वर के साथ एक मिशन पर हूँ?
प्रार्थनाः प्रिय प्रभु, हमारे प्रति आपके प्रेम के कारण, आपने हमें पाप से मुक्ति दिलाने के लिए अपना इकलौता पुत्र संसार को दे दिया। अब जबकि मैं मुक्त हो गया हूँ, मुझे आपका छुटकारे का कार्य पूरा करने दीजिए। मैं प्रार्थना करता हूँ कि मेरे माध्यम से आप इस हताश संसार के सामने प्रकट हों। प्रभु, मुझे आपके साथ इस मिशन पर रहने दीजिए। आमीन

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