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मंगलवार, 14 अक्टूबर || मेमने का लहू पाप की शक्ति को नष्ट करता है

  • Writer: Honey Drops for Every Soul
    Honey Drops for Every Soul
  • 4 days ago
  • 2 min read

आत्मिक अमृत अध्ययनः निर्गमन 12ः 21-24


और जिन घरों में तुम रहोगे उन पर वह लहू तुम्हारे लिए चिह्न ठहरेगाय अर्थात् मैं उस लहू को देखकर तुम को छोड़ जाऊँगा, ३‘ - निर्गमन 12ः13


प्रभु ने इस्राएलियों को आज्ञा दी कि प्रत्येक व्यक्ति अपने परिवार के लिए एक मेमना ले, प्रत्येक घराने के लिए एक। फिर उसे मेमने को मारना था, उसका थोड़ा सा खून लेकर उसे अपने घर के चैखटों के किनारों और ऊपर लगाना था। खून देखकर, मृत्यु का दूत उनके घर के ऊपर से गुजर जायेगा। जब प्रभु ने मिस्रियों के सभी ज्येष्ठ पुत्रों को मारा था, तब इस्राएलियों पर कोई विनाशकारी विपत्ति नहीं आयी। प्रभु ने उन्हें फसह के मेमने के खून के माध्यम से मुक्ति दिलाया। ध्यान दें, इसके लिए प्रभु के वचन में विश्वास की आवश्यकता थी। केवल बौद्धिक स्वीकृति ही पर्याप्त नहीं थी। मेमने के खून द्वारा ज्येष्ठ पुत्रों की मृत्यु से रक्षा करने के वचन पर विश्वास करना था, और मेमने के खून को चैखटों पर लगाकर उस विश्वास के अनुसार कार्य करना था। यदि कोई यह कहकर इसका विरोध करता, ‘‘यह तर्कसंगत नहीं है कि चैखटों पर खून छिड़कने से ज्येष्ठ पुत्र मृत्यु से बच जाएगा,‘‘ तो उसका पुत्र मर जाता। विनाशक से बचने के लिए केवल ‘‘मैं विश्वास करता हूँ‘‘ कहना और खून न लगाना भी पर्याप्त नहीं होता। यही बात मसीह के खून के साथ भी सच है।


 प्रिय मित्रों, हो सकता है कि आप एक ईसाई परिवार में पले-बढ़े हों और सामान्य रूप से यीशु में विश्वास करते हों, लेकिन यदि आप स्वयं क्रूस पर नहीं चढ़े हैं, तो आप क्रोध और न्याय से नहीं बचेंगे। आज ही चुनाव करें! स्वीकार करें कि आप एक पापी हैं और आपको मसीह की आवश्यकता है। उद्धार के साधन के रूप में स्वयं पर या अपने अच्छे कर्मों पर सारा भरोसा त्याग दें। अपने पापों के लिए परमेश्वर द्वारा दिए गए भुगतान के रूप में मसीह के लहू पर भरोसा करें। विश्वास के साथ मसीह के लहू को अपने हृदय में लगाएँ और आप निस्संदेह परमेश्वर के न्याय से बच जाएँगे।

प्रार्थनाः प्रिय प्रभु यीशु, फसह मुख्यतः इस्राएलियों को मिस्र से छुड़ाने के बारे में नहीं है। बल्कि, इसका मूल उद्देश्य आपकी महिमा और उत्कर्ष है, हे प्रभु। मैं केवल यह नहीं कहता, ‘‘मैं यीशु में विश्वास करता हूँ,‘‘ बल्कि अब मैं विश्वास के साथ आपके क्रूस की ओर दौड़ता हूँ और आपके लहू को अपने हृदय में लगाता हूँ। मैं स्वीकार करता हूँ कि आप मेरे प्रभु और मेरे उद्धारकर्ता हैं। आमीन

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